वो चांदनी रात थी, वो रात में कुछ तो बात थी अँधेरा वो घनघोर था, वहां ख़ामोशी का ही शोर था, रास्ते पर जो मैं चला था, साथ में ना कोई और था, एक बस मैं था और एक तु थी, वो चांदनी रात थी, वह रात में कुछ तो बात थी, घबराके जब मैंने पकड़ा था तेरा हाथ, थामा था हाथ तुने भी, जब कोई अपना भी ना था साथ यह इश्क़, प्यार मोहोब्बत की नहीं, अपनी परछाई की बात थी, वो चांदनी रात थी, वह रात में कुछ तो बात थी... Words By Mr.Purvang...